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भारत और कश्मीर के बीच सबसे विवादित कानून धारा 370 पर 5/8/2019 को लोकसभा में एक बिल पारित कर दिया गया। कई वर्षों से लंबित इस मामले को लोकसभा द्वारा नए लिए गए फैसले से 370 के कुछ प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया।
ज्ञात हो कि 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो मोहम्मद अली जिन्ना की जिद थी कि उन्हें मुस्लिमों के लिए एक अलग देश(पाकिस्तान) चाहिए। और जब देश का बंटवारा हुआ तो सभी प्रांतों से उनकी स्वीकृति ली गई कि वे किस देश में शामिल होना चाहते हैं। सभी प्रांतों ने अपनी अपनी इच्छा जाहिर की और वे अपने मनमुताबिक देश में शामिल हो गए। किन्तु जम्मू और कश्मीर के राजा हरी सिंह किसी भी देश में शामिल नहीं होना चाहते थे। वे कश्मीर को एक अलग राज्य रखना चाहते थे। किंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था। पाकिस्तान के साथ कुछ कम लोग ही जुड़ पाए थे। और पाकिस्तान को अपनी सीमाओं में जाना भी करना था, अपने इसी मंशा के तहत पाकिस्तान ने कार्य करना प्रारंभ किया।
अब तक राजा हरी सिंह को समझ आ गया था कि उन्हें भारत से मदद लेनी ही पड़ेगी। भारत के सामने समस्या यह थी कि जब तक कि कश्मीर भारत का अंग ना हो तब तक वह वहां पर कोई सैन्य कार्यवाही नहीं कर सकता था। राजा हरि सिंह ने पंडित जवाहरलाल नेहरू तत्कालीन प्रधानमंत्री से संपर्क साधा और उन्हें स्थिति बताई। भारत ने कहा आप इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर करें हम आपको मदद मुहैय्या कराएंगे। राजा हरि सिंह ने हस्ताक्षर कर दिए और भारत ने अपनी सेनाएं कश्मीर भेज दीं। कुछ ही समय में भारतीय सेना ने वीरता पूर्वक उनका सामना करके उन्हें मार कर भगा दिया। लेकिन इतने समय में पाकिस्तानी मसला संयुक्त राष्ट्र संघ के मध्य ले गया और संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह कहा कि जो सेना जहां है। वे वहीं पर रुक जाएं। इसके साथ एलओसी रेखा का जन्म हुआ। जब हरी सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगाई तभी धारा 370 का जन्म हुआ।
गोपाल स्वामी अयंगर द्वारा सुझाई गई धारा 306 जो शेख अब्दुल्लाह द्वारा रचित थी को बाद में धारा 370 के नाम से जाना गया। जिसमें कश्मीर को कुछ विशेष सुविधाएं दी गई तथा इसे अन्य राज्यों से कुछ अलग सुविधाएं दी गई।
(1). धारा 370 को तथा अनुच्छेद 35-A को भी समाप्त कर दिया गया।
(2). दो केंद्र शासित प्रदेश बनाये गए।
(3). जम्मू कश्मीर में लेफ्टिनेंट गवर्नर रखा।
(4). जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी और गवर्नर उसे चलाएगा।
(1). जम्मू कश्मीर में जमीनी संपत्ति खरीदी जा सकेगी।
(2). लेह और जम्मू कश्मीर अलग अलग हो जायेंगे ?
(3). आतंकवादी गतिविधियां जस की तस बने रहने का अनुमान है।